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Premchand Sharma 'Swatantra'
Anjuman Taraqqi Urdu Hyderabad
(Autor)
·
Redgrab Books
· Tapa Blanda
Premchand Sharma 'Swatantra' - Anjuman
Sin Stock
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Reseña del libro "Premchand Sharma 'Swatantra'"
"इस उपन्यास में, एक ऐसी ही परित्यक्त महिला का चित्रण है, जिसने अपने अल्हड़ मदमाते यौवन के इठलाते बासंतिक स्वप्नों से जीवन प्रारम्भ किया। परन्तु अंत में, तप्त और दग्ध कर देने वाले आंतरिक और बाह्य तापों-संतापों के तपते ग्रीष्म के थपेड़ों को सहा। वर्षाकालीन घनघोर मेघ गर्जन और तड़ित की चमक व तड़क भरी अंधियारी के एकाकीपन में 'शैया के अधूरेपन' के दंश को झेला। शरद ऋतु के भयानक शीत के बीच रात्रि को बिछौने पर, पति की काल्पनिक उपस्थिति का आभास पालते हुए न जाने कितने वर्ष बिताए? अपनी आशाओं, उत्साह, उल्लास, अपेक्षाओं व मनोकामनाओं के तरुवरों पर पसरता नित और अनंत पतझड़ देखा। पत्रहीन पौधों और वृक्षों में 'बसंत' आते ही नई कोपलें भी फूटती देखीं। उनको पल्लवित-पुष्पित होते भी देखा। आम्र मंजरी फलती देखीं। हरित लतिकाएँ विकसित होतीं और पुष्पों को खिलते देखा। तितली और भौरों को उन पर मंडराते और उनका रस-चूषण करते देखा। पर इस विरहन की जीवन बगिया में कभी भी 'लौटकर बसंत नहीं बगरयौ।' न कोयल कूकी, न भ्रमर ही गूँजे। इसके जीवन में तो शाश्वत पतझड़ ही रहा, या रहीं परिस्थिति जन्य अनंत तड़पनें। "
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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